पुखराज के चमत्कार ----जवाहरातो में पुखराज मध्यम श्रेणी का रत्न माना जाता है। इसमें फ्लोरिन,एल्युमिनियम तथा हाइड्रोक्लोरिक की मात्रा विशेष होती है.शुद्ध पुखराज रंगहीन होता है कुछ अशुद्धियों के कारण पुखराज में रंग पाया जाता है। किन्तु सर्वश्रेस्ठ पुखराज पीले रंग का होता है इसकी सुंदरता को प्रदर्शित करने के लिए इसको ज्वलंत और लाल काटों में काटा जाता है बड़े टुकड़ो में कुछ नए फलक भी बनाए जाते हैं. इसकी मेखलाएं अंडाकार,वृत्ताकार अथवा दीर्घ वृत्त के आकार में बनाई जाती है
पुखराज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सहज ही चिर जाता है त्रिपार्श्व में किनारे के समकोण पर पुखराज का चिराव सरलता से हो जाता है पुखराज को काटते तथा उसको धारण करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि ओह भाजन तल से टूट न जाए.
किन्तु कठोरता में यह हीरा,माडिक्य व् नीलम से कम है,इसलिए इसे खूब चमकाया जा सकता है इसी कारण इसकी निराली मसृण चमक होती द्विवणर्णिता धुंधले पुखराजों में तो कम ही दिखाई देती है ,लेकिन ज्यादा रंगीन पुखराजों में यह साफ होती हैपुखराज को रगड़कर उससे विधुत उतपन्न की सकती है इसको स्फुट ताप विधुत गुण कहते है इस गुण से यह सभी रत्नो में केवल टूर्मेलिन से ही कम है ,