शुक्रवार, 18 मई 2018

पुखराज के चमत्कार

पुखराज के चमत्कार ----जवाहरातो में पुखराज मध्यम श्रेणी का रत्न माना जाता है। इसमें फ्लोरिन,एल्युमिनियम तथा हाइड्रोक्लोरिक की मात्रा विशेष होती है.शुद्ध पुखराज रंगहीन होता है कुछ अशुद्धियों के कारण पुखराज में रंग पाया जाता है। किन्तु सर्वश्रेस्ठ पुखराज पीले रंग का होता है इसकी सुंदरता को प्रदर्शित करने के लिए इसको ज्वलंत और लाल काटों में काटा जाता है बड़े टुकड़ो में कुछ नए फलक भी बनाए जाते हैं. इसकी मेखलाएं अंडाकार,वृत्ताकार अथवा दीर्घ वृत्त के आकार में बनाई जाती है

पुखराज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सहज ही चिर जाता है त्रिपार्श्व में किनारे के समकोण पर पुखराज का चिराव सरलता से हो जाता है पुखराज को काटते तथा उसको धारण करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि ओह भाजन तल से टूट न जाए.

किन्तु कठोरता में यह हीरा,माडिक्य व् नीलम से कम है,इसलिए इसे खूब चमकाया जा सकता है इसी कारण इसकी निराली मसृण चमक होती द्विवणर्णिता धुंधले पुखराजों में तो कम ही दिखाई देती है ,लेकिन ज्यादा रंगीन पुखराजों में यह साफ होती हैपुखराज को रगड़कर उससे विधुत उतपन्न की सकती है इसको स्फुट ताप विधुत गुण कहते है इस गुण से यह सभी रत्नो में केवल टूर्मेलिन से ही कम है ,

गुरुवार, 17 मई 2018

मूंगे की परीछा कैसे करे

मूंगे की परीछा कैसे करे ----रत्न विज्ञानियों के मत से मूंगे की परीछा  कई प्रकार से की जाती है,जिनमे से कुछ मुख्य इस प्रकार है

जो मूंगा रुखा,भारहीन या चमकदार न होम,उसे धारण करने का कोई लाभ नहीं होता। वह लाभ के स्थान पर हानि ही अधिक करता है।
यदि रक्त में मूंगा रख दिया जाए,तो उसके चारो ओर गाढ़ा रक्त जमा हो जायगा।यह शुद्ध मूंगे की पहचान है।
यदि उत्तम जाति का मूंगा हो और उसे सूर्य की धूप में रुई पर दिया जाए तो थोड़ी देर में ही रुई जल उठेगी। इसे भी असली मूंगा जानना चाहिए।
जिस मूंगे को दूध में डालने पर दूध में लाल रंग की झाई -सी देखने को मिले,वह भी श्रेष्ठ मूंगा होता है। 

माणिक्य कब धारण करें

माणिक्य  कब धारण करें -- 

जैसा  कि प्रारंभ में बताया जा चुका है कि माणिक्य  सूर्य का रत्न है इसलिए सूर्य जिस कुंडली में किसी शुभ भाव का स्वामी हो ,तो उस व्यकित के लिए माणिक्य  शुभ फलकारक सिद्ध होगा यदि सूर्य तीसरे। छठे या ग्यारहवें भाव में हो तो माणिक्य  धारण करना अत्यंत शुभ है जन्मकुंडली में सूर्य लग्न में हो,तो लग्न के प्रभाव की बृद्धि के लिए माणिक्य धारण करना चाहिए। अष्टम भाव में यदि सूर्य हो या सूर्य अष्टमेश हो,तो माणिक्य  धारण नहीं करना चाहिए। 
     
सप्तम भाव में सूर्य की स्थिति हो तो माणिक्य  धारण करना गृहस्थ -सुख के लिए आवश्यक होता है। जन्मकुंडली में यदि सूर्य पंचम भाव में या नवम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति को माणिक्य अवश्य ही धारण करना चाहिए।